जाने लाल सिंधी गाय की विशेषताएं; क्यों है देश की टॉप गायों में नाम

लाल सिंधी गायें मुख्य रूप से अपने दूध के लिए जानी जाती हैं और साहीवाल नस्ल की गाय के बाद इनकी गणना होती है.

लाल सिंधी गाय को सिंधी और लाल कांकरेज गाय भी कहते हैं

इस गाय की नस्ल का मूल जन्म स्थान पाकिस्तान का सिंध नामक प्रदेश है.

इस नस्ल की गायें विभिन्न प्रकार की जलवायु में अनुकूलन की क्षमता रखते हैं और ये गायें कई बीमारियों की प्रतिरोधी भी हैं

लाल सिंधी गाय की अन्य कई देशों में भी भारी मांग है जिनमें मुख्य रूप से कोरिया, मलाया, ब्राजील और क्यूबा आदि देश शामिल हैं.

लाल सिंधी गाय का रंग गहरा लाल होता है लेकिन इस नस्ल में हल्के पीले से लेकर गहरे कत्थई रंग के पशु भी पाए जाते हैं

इन गायों की कुल ऊंचाई लगभग 115 सेंटीमीटर, लंबाई करीब 127 सेंटीमीटर और वजन करीब 360 किलोग्राम होता है.

गांवों में लाल सिंधी गाय करीब 300 दिन के एक ब्यांत में औसतन 1200 किलो दूध देती है

उन्नत फॉर्मों में इसी नस्ल की गायें करीब 1800 किलोग्राम दूध दे रही हैं

इस नस्ल की कुछ ऐसी विशेष गायें भी हैं जो एक ब्यांत में करीब 4082 किलोग्राम भी दूध दे रही हैं.

लाल सिंधी गाय 3 से 3.5 वर्ष की उम्र में पहली बार ब्यान्ती है और ब्यांत में नियमित रहती हैं.

लाल सिंधी नस्ल की गायें अपनी दूध की उपयोगिता के कारण बहुत प्रचलित हैं अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें